
आज इन यातायात के नियमों को सड़क पर लागू न करके अपने जीवन पर लागू
करते है और देखतें है कि इन नियमों का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है|
सबसे पहले बात करते हैं “keep distance” की, मतलब एक निश्चित दूरी बनाए रखें; पर सवाल उठता है कि किससे निश्चित दूरी बनाकर रखें और क्यों? तो इस सवाल का सीधा-सा उत्तर है, हमें हमारे जीवन में पहले से मौजूद या भविष्य में आने वाले रिश्तों से हमेशा एक दूरी बनाकर रखनी चाहिए| क्योंकि बहुत ज़्यादा नज़दीकिया अक्सर कड़ुवाहट को जन्म दे देती है| कभी-कभी स्नेह के कारण हम अपने रिश्तेदारों, मित्रों के इतने करीब हो जाते हैं कि वह हमारा फ़ायदा उठा लेते हैं| प्रेम और विश्वास के चलते हम उनकों अपने राज़, अपने जीवन की कड़वी सच्चाई बता देते हैं, क्योंकि हम उनको अपना विश्वासपात्र समझते है जबकि सच्चाई इसके एकदम उलट होती है| अवसर आने पर वो लोग हमारे राज़ सबके सामने खोलने से हिचकते तक नहीं हैं और कभी कभी तो हमको ही डराते-धमकाते रहते हैं और हम उनकी हर सही-ग़लत बात को मानने के लिए मज़बूर होते है|
सबसे पहले बात करते हैं “keep distance” की, मतलब एक निश्चित दूरी बनाए रखें; पर सवाल उठता है कि किससे निश्चित दूरी बनाकर रखें और क्यों? तो इस सवाल का सीधा-सा उत्तर है, हमें हमारे जीवन में पहले से मौजूद या भविष्य में आने वाले रिश्तों से हमेशा एक दूरी बनाकर रखनी चाहिए| क्योंकि बहुत ज़्यादा नज़दीकिया अक्सर कड़ुवाहट को जन्म दे देती है| कभी-कभी स्नेह के कारण हम अपने रिश्तेदारों, मित्रों के इतने करीब हो जाते हैं कि वह हमारा फ़ायदा उठा लेते हैं| प्रेम और विश्वास के चलते हम उनकों अपने राज़, अपने जीवन की कड़वी सच्चाई बता देते हैं, क्योंकि हम उनको अपना विश्वासपात्र समझते है जबकि सच्चाई इसके एकदम उलट होती है| अवसर आने पर वो लोग हमारे राज़ सबके सामने खोलने से हिचकते तक नहीं हैं और कभी कभी तो हमको ही डराते-धमकाते रहते हैं और हम उनकी हर सही-ग़लत बात को मानने के लिए मज़बूर होते है|
अब मन में एक और प्रश्न उठता है कि क्या सभी रिश्ते ऐसे ही होते हैं?
जहाँ तक मेरा मानना है तो लगभग सभी रिश्ते ऐसे ही होते है| क्योंकि हमारे साथ
विश्वासघात हमारा विश्वासपात्र ही करता है| इतिहास उठाकर देखगें तो बहुत से उदाहरण
मिल जाएगें कि कैसे विश्वासपात्रों ने अपने मित्रों, मालिकों और रिश्तेदारों के
साथ विश्वासघात किया| जीवन जीने के लिए लोगों पर विश्वास करना आवश्यक है पर किसी
के ऊपर अन्धविश्वास नहीं करना चाहिए| अगर हम किसी के ऊपर अन्धविश्वास करते हैं तो
इसका सीधा सा मतलब निकलता है कि सामने वाला कुछ भी करे पर हमने अपनी आँखें बंद कर
ली हैं| वह कुछ भी करे हमें उसका विरोध नहीं करते क्योंकि हम मानने लगते है कि
सामने वाला हरदम सही ही है| अक्सर हम जिसके बारे में यह धारणा बना लेते हैं कि वह
कभी ग़लत नहीं हो सकता; वही व्यक्ति हमें कदम कदम पर ग़लत साबित करता है और एक
वक़्त ऐसा आता है कि हम सब कुछ अपने अन्धविश्वास के चलते हार जाते हैं|
जब हमारा राज़दार ही हमारा राज़ सबके सामने खोल देता है तो हमें बहुत
आश्चर्य होता है| हमें उसकी गद्दारी पर यकीन नहीं होता है पर ग़लती सामनेवाले की
नहीं, हमारी होती है| जब हम खुद अपना राज़ अपने तक सीमित नहीं रख पाए तो हमारा
मित्र या रिश्तेदार उस राज़ को राज बनाकर क्यों रखेगा? हम अक्सर लोगों को अपना
राज़दार उस समय बनाते है जब हम बहुत खुश होते है या बहुत दुखी होते हैं| इन
स्थितियों में हम अपना विवेक खो बैठते है और सब कुछ लोगों को बता जाते हैं| इसलिए
इन विकट परिस्थितियों में हमें हमेशा अपने दिमाग़ की लाल बत्ती जला कर रखनी चाहिए| लाल बत्ती बोले तो “use dipper at night”... जैसे
रात में चलते वाहन हमेशा लाल बत्ती जलाकर रखते हैं, हमें भी हमेशा सतर्क रहना
चाहिए| कभी भी अपनी ज़िन्दगी को खुली किताब नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि खुली किताब
जल्दी पीली पड़ती और फटती है| लेकिन इसका यह अभिप्राय भी नहीं है कि हम ज़िन्दगी की
किताब को बंद अलमारी में दीमकों को चाटने के लिए छोड़ दें| किसी को कुछ बताने से
पहले हमेशा यह सोच लेना चाहिए कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी से भविष्य में हमें
तो कोई परेशानी तो नहीं होगी|
अब बात आती है “blow horn” की, इस नियम का प्रयोग जितना सड़कों पर वाहन
दौड़ाते हुए किया जाता है उसका १ प्रतिशत भी हम अपनी ज़िन्दगी में नहीं करते हैं|
अक्सर देखा जाता है कि हमारे आस-पास के लोग ही हमें बार-बार चोट पहुँचाते हैं|
हमारा और हमारी भावनाओं का मजाक उठाकर हमें आहत करते पर हम उनसे चाहकर भी कभी कुछ
कह नहीं पाते क्योंकि वह सब लोग हमारे अपने होते है| हम उनसे संबंध खराब नहीं करना
चाहते और सोचते रहते हैं कि सब अपने आप ठीक हो जाएगा पर ऐसा नहीं होता| इन
स्थितियों में घुट-घुट कर जीने से बेहतर है कि हम सामने वाले को साफ़ लफ़्ज़ों में
समझा दें कि दोबारा ऐसा नहीं होना चाहिए| किसी को किसी के मान-सम्मान को आहत करने
का कोई हक़ नहीं है| हम सबको यह समझना चाहिए कि अपनी स्वंतत्रता वहाँ समाप्त
हो जाती है जहां से किसी दूसरे की नाक शुरू होती है| जैसे समय पर बजाया
गया हार्न एक बहुत बड़ी दुर्घटना हो रोक लेता है ठीक वैसे ही समय रहते लोगों को
अपना नज़रिए और अपने प्रति उनका व्यवहार कैसा हो,
अच्छी तरफ़ समझा देना चाहिए| पर कई बार ऐसा होता है कि लोगों को बार बार
समझाने और बताने पर भी उनको बात समझ में नहीं आती है| बार-बार वो हमारे साथ वैसा
व्यवहार करते रहते हैं जिसके लिए हम उन्हें मना कर चुके होते है और तो और जब हम
उन्हें टोकते है तो वो माफ़ी मांग लेते है और आइंदा ऐसा न करने का वादा करते है पर
चिकने घड़े पर पानी कितनी देर टिकता है, यह तो सभी जानते हैं|
माना रिश्ते बनाने में वर्षों लग जाते हैं पर बार-बार समझाने पर भी जब
कोई कुछ समझना ही नहीं चाहता तो हम क्यों हर बार किसी की बातों से अपने मन को आहत
करें| हम किसी को खुश करने तथा उसके साथ रहने के लिए क्यों अपने आत्मसम्मान को ठेस
पहुँचाएं? क्यों घुट-घुट कर जिएँ? हमें समय रहते इन रिश्तों से दूरियाँ बना लेनी
चाहिए| दुनियाँ क्या कहेगी? समाज में हमारी बे-इज्जती हो जाएगी... इन बातों को
हमें दरकिनार कर देना चाहिए| हमें ज़िन्दगी खुश रहकर जीने के लिए मिली है न कि
घुट-घुटकर मरने के लिए| शायद इसीलिये हर वाहन के पीछे लिखा होता है, “जगह मिलने पर
पास दिया जाएगा”| रिश्ते टूटने पर दुःख और तकलीफ़ें तो ज़रूर होती हैं पर कुछ समय
बाद सब पहले जैसा सामान्य और सुंदर हो जाता है|
वैसे तो यह सारे नियम यातायात को सुगम और सरल बनाने के लिए बनाए गए
हैं पर हम इन नियमों के प्रयोग से अपने जीवन के यातायात को भी सरल बना सकते है| बस
ज़रूरत है तो इन नियमों को अपने जीवन में कड़ाई से लागू करने की और यह पहचानने की कि
कौन सा नियम कहाँ और कब लागू करना है|