बहुत दिनों से सोच रही थी एक ब्लॉग बनाने की... आज लगभग शायद बन गया है| मुझे ज्यादा कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कैसे करना है? फिर भी ४ दिन के सिरदर्द और मेहनत थोड़ी बहुत रंग ले आई है| बहुत सोचा इसके नाम में बारे में क्या रक्खूं? फिर अचानक दिमाग के बत्ती जगी कि चार दिन से मूढ़ खपा रही थी मतलब कि संज्ञाशून्य हो कर अंग्रेजी के suffer में सफ़र कर रही थी, इसलिए इसका नाम ढूढ़ निकाला शून्य से अनंत तक एक अंजाना अनोखा सफ़र...
वैसे मैं इतना ज्यादा सोच विचार नहीं करती हूं, क्योंकि मेरे दिमाग के कीड़े का कोई राइट टाइम नहीं है कि कब वो कुलबुलाने लगे और मैं कुछ भी बेसिर पैर की पोस्ट शेयर कर दूँ| इसलिए सोचा कि अपना एक ब्लॉग बना लेते है; जब कभी दिमाग के बंदर गुलाटी मारेगें एक आध पोस्ट चिपका दूंगी और वैसे भी कभी कभी अपने दिमाग का इस्तेमाल करने में अपना क्या जाता है! अपने पास तो दिमाग का पूरा स्टॉक है, जब मन करेगा ५० ग्राम खर्च कर दूंगी आखिरकार दिलदार जो ठहरी!
कुछ मीठा हो जाये....
ReplyDeleteमणि, आशीष है कि आकाश छू लो !!
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