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Tuesday 15 April 2014

सो कॉल्ड नैतिकता

हमारे समाज में नैतिकता इतनी हावी हो चुकी है कि हम किसी भी व्यक्ति को अनैतिक कार्य करते हुए देख ही नही सकते और अगर किसी का कोई अनैतिक कृत्य हमारे सामने आ जाता है तो हम उस व्यक्ति को सुधारने के लिए इतने उत्सुक, तत्पर और आतुर हो जाते है कि अपनी नैतिकता तक को दाँव पर लगाने से नहीं चूकते।

हम अपनी बीवी को भले ही दिनभर लतियाते हो लेकिन पड़ोसी क्या मज़ाल अपनी बीवी से ऊँची आवाज़ में बात कर ले। हमारा सुपुत्र भले ही आते जाते लड़कियों को छेड़े लेकिन बगल वाली लड़की का दुप्पटा कैसे ग़लती से भी यथास्थान से हटने पाए। हमारा अपना "एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर" हो लेकिन जीवनसाथी वफ़ादार होना ही चाहिए। हमारी बेटी भले ही हर दूसरे दिन नये लड़के के साथ घूमे लेकिन बहु सर्वगुण सम्पन्न गौ जैसी चाहिए।

सच तो यह है "सो कॉल्ड नैतिकता" दूसरों के लिए है और अपने लिए कोई नियम क़ानून नहीं । मैंने अक्सर देखा है जो दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते है वही सबसे बड़े अनैतिक कामों में लगे होते हो।

इसलिए भई दूसरों की चढ्ढी में छेद ढूँढने से पहले अपनी निक्कर ज़रूर एक बार ठीक से देख लें।


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