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Wednesday 1 August 2012

अतीत

गूगल से साभार 
अतीत, जीवन का वह पल है जिसको हम भविष्य का साथ पाने के लिए, अपने वर्तमान के पीछे छोड़ आए हैं| जो आज अभी है, वो दिन ढलने के बाद अतीत बन जाता है| अतीत की स्मृतियों के चिन्ह सदैव हमारे साथ रहते हैं|  हमारा अतीत ही हमें हमारे होने का एहसास करता है| न चाहते हुए भी हम हमेशा अपने अतीत से जुड़े रहते है क्योंकि हमारा अतीत हमारे अस्तित्व का एक साक्ष्य है| अतीत हमारे जीवन का एक हिस्सा है, जिसे न तो फिर से बनाया जा सकता है और न कभी पूर्णतयाः मिटाया जा सकता है| अक्सर जब भी अतीत का प्रसंग आता है; हम सबको अपने अतीत में की गई गलती या दुखद घटनाएं ही याद आती हैं क्योंकि हमारे द्वारा की गई गलती, हमेशा हमारी अंतरात्मा को कचोटती रहती है| ऐसा नहीं है कि अतीत कभी सुन्दर नहीं हो सकता परन्तु सुखद यादें समय के साथ धूमिल हो जाती है, जिसे हम आसानी से भूल जाते है और इसीलिये अतीत हमें कटु एवं कष्टकारी लगता है|


हम अपने अतीत से बचने के लिए हर संभव कोशिश करते है; कभी किसी का सहारा लेते तो कभी खुद को कमरे में बंद करके अतीत से भागते  हैं| लाख दरवाजे बंद कर लेने बावज़ूद अतीत हम पर हमेशा हावी रहने की कोशिश में रहता है; अपनी तरफ़ मज़बूती से खींचता है| अतीत पर चाहें जितने भी पहरे लगाओ, वह पल भर में बंधन मुक्त होकर हमारे सामने मुंह उठाकर खड़ा हो जाता है और हम कुछ नहीं कर पाते हैं| अतीत बेरहम होता है, सबके सामने हमारी इज्ज़त तार तार करने की हर बार धमकी देता है| हमें डरा कर अपने बाहुपाश में बांधे रखता है|


समय के साथ परिवेश बदल जाते हैं, रिश्ते बदल जाते हैं, आबोहवा बदल जाती है, यहाँ तक कि लोगों की पहचान बदल जाती है पर अतीत कभी नहीं बदलता| हमारी लाख कोशिशों के बावजूद भी हम अपने अतीत के भयानक चंगुल से नहीं बच पाते हैं| हमारे मरने के बाद भी अतीत कभी भी हमारा पीछा नहीं छोड़ता है, वह स्वयं जीवित रहता और हमें भी जीवित रखता है| अतीत, हमारा वर्तमान और भविष्य दोनों ही निगल जाने के लिए आतुर रहता है| हमें बर्बाद करने का रोज़ एक नया पैतरा ढूढ़ता रहता है और अक्सर हमें बर्बाद कर भी देता है|


पर ऐसा नहीं है कि हम इस अतीत नामक दानव पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते हैं; क्योंकि इस मृत्युलोक में सबका का अंत निश्चित है| सत्य को स्वीकार करने की क्षमता ही मात्र एक ऐसा अस्त्र है, जिससे अतीत को भी मारा जा सकता है| सत्य को स्वीकार करके हम अपने दुखद अतीत के सम्पूर्ण साम्राज्य का अंत कर सकते हैं|  यदि हमें अपना वर्तमान और भविष्य दोनों सुंदरतम एवं शांतिपूर्ण चाहिए तो अतीत का सत्य कितना भी कटु क्यों न हो; हमें दृढ़ता एवं विनम्रता के साथ उसे स्वीकार कर लेना चहिये; क्योंकि अतीत एक सत्य है और सत्य को न तो हराया जा सकता है और न कभी छुपाया जा सकता है|


यदि समय रहते गलती को सुधारा न जाए तो यही गलती भविष्य में अतीत का विकराल रूप लेकर हमारे सामने आती है और हमारे मान सम्मान को तार तार कर देती है; हमारी प्रतिष्ठा पर गहरा आघात करती है|  गलती करना मनुष्य का स्वभाव है, अक्सर बाल्यावस्था में की गई गलतियाँ क्षम्य होती हैं क्योंकि बचपन विवेकरहित एवं बोधराहित होता है| परन्तु युवावस्था में की गई गलतियों की सजा हमें वृद्धावस्था में ब्याज सहित चुकानी पड़ती हैं|


जैसा कि आजकल देश के एक वरिष्ठ नेता जी के साथ हो रहा है| नेता जी के पलभर छलावे सुख की लालसा ने उनकी ज़िन्दगी भर की कमाई इज्ज़त को सरेआम नीलम कर दिया| उनके अतीत से वह जितने शर्मसार हुए हैं, उससे कहीं ज्यादा उनका परिवार शर्म झेल रहा है| हम नेता जी को अविवेकी नहीं कह सकते क्योंकि वह  देश और समाज से जुड़े निर्णय ले रहे हैं| अगर उन्होंने जोश में अपने होश न होए होते तो शायद आज उनकी समाज में इतनी किरकिरी न हो रही होती| इस कृत्य में नेता जी और उनकी सहभागी दोनों की ही बराबर के ज़िम्मेदार हैं परन्तु बेइज्जती सिर्फ नेता जी की हुई क्योंकि नेता जी सच्चाई को सिरे से नकार रहे थे|
गर नेता जी ने अपनी गलती स्वीकार कर ली होती तो शायद उनके अतीत ने उनके वर्तमान को पानी-पानी न किया होता|


अतीत, संदूक में बंद लाश के समान है जिस पर चाहें जितना भी चन्दन का इत्र लगाओ, खुलने पर सड़ांध आती ही है| 

2 comments:

  1. जब अतीत में कुछ अच्छा हुआ होता है तो सोचने भर से चहरे पर मुस्कराहट आ जाती है........ परन्तु कई कड़े वाक्ये सिर्फ और सिर्फ भुला देना ही बेहतर होता है.....
    "बीती ताहि बिसार दे.... आगे की सुघ ले......."
    पर यदि कोई वाक्या सामने आ ही जाये हो समझदारी इसी में है की उसका सामना करते हुए.... लाश को संदूक से वाहर लाकर प्राचयित रूपी अग्नि को समर्पित किया जाये... जिससे लाश की बदबू आपके और आपके भविष्य पर कोई प्रभाव न दिखा सके....

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  2. Awsm.

    1-1 baaten poornatah satya hain mani. Tumhe yahan padhna waaqayi achcha lagta hai, aur intezaar rahta hai tumhare colomun ka.

    Behtareen.

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