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Monday 18 March 2013

मेरा नाम जोकर...

कल मैं अपने एक रिश्तेदार के घर गई थी, उनके सात माह के गोल-मटोल बच्चे से मिलकर बहुत खुशी हुई| मैंने उनसे बच्चे का नाम पूछा तो उन्होंने बहुत गर्व से बताया “अथर्व है इसका नाम, वेदों के नाम पर रखा है”| उनके पूरे परिवार को यह नाम बहुत पसंद आया है... पर सच बताऊँ मुझे ये नाम रत्ती भर भी पसंद नहीं है क्योंकि एक तो यह नाम बोलने में बहुत ही कठिन है, दूसरा इसका कोई सार्थक अर्थ नहीं है| मैंने बहुत लोगों को देखा है वो एक अलग नाम रखने की होड़ में अपने बच्चों के नाम बहुत ही अजीब रख देते हैं, जिनका कोई अर्थ नहीं होता है|

ऐसे ही एक माता-पिता ने अपने बच्चे का नाम रखा “देवस्य”, जब मैंने उनसे “देवस्य” का अर्थ जानना चाहा तो उन्होंने बताया- “आप गायत्री मंत्र जानती हैं न... उसमें आता है देवस्य”| जब मैंने उनको बताया कि देवस्य का शाब्दिक अर्थ “देवताओं का” होता है| तो आप बताइये कि आपका बेटा देवताओं का क्या है... “आशीर्वाद है, श्राप, हाथ, पैर, मुँह, नाक” क्या है देवताओं का? पर उन्हें कुछ समझ में नहीं आया और वो बार बार गायत्री मंत्र सुनाते रहे और मैं चुप हो गई|

कुछ लोग तो अपने हिन्दी ज्ञान का पूर्ण उपयोग केवल अपने बच्चों के नाम रखने में करते हैं| तभी “संज्ञासूचक” शब्दों को छोड़ कर “क्रियासूचक” शब्दों पर अपने बच्चों के नाम रख देते हैं जैसे- संघर्ष, मनन, रचित आदि| ये नाम अपने आप बहुत अजीब हैं| संघर्ष नाम का बच्चा हमेशा अपने जीवन के हर स्तर पर संघर्ष ही करता रहेगा|

कुछ बच्चों के नामों का कोई अर्थ नहीं होता है जैसे “ स्तम्भ, प्रवेश, पुष्कर, क्रांति” आदि नामों(शब्द) का हिन्दी शब्दकोश में कोई सार्थक अर्थ नहीं दिया हुआ है| फिर भी माता-पिता कुछ नया करने के चक्कर में अपने बच्चों के ये नाम रख रहे हैं|

बच्चों के नाम रखने में एक वर्ग और हैं जो लीक से हट कर नाम रखने में विश्वास रखता है, उन्हें प्रचलन और वास्तविकता को उलटपलट करने में बहुत मज़ा आता है... जैसे “राधा” नाम की लड़की के बेटे का नाम “कृष्ण/कन्हैया”, “आदित्य” की बेटी का नाम “अदिति”| जबकि सबको पता है कि राधा-कृष्ण प्रेमी-प्रेमिका के नाम है और अदिति से आदित्य उत्पन्न हुए है... न कि आदित्य से अदिति, पर लोग बिना कुछ सोचे समझे जो नाम/शब्द अच्छा लगा... उठाकर रख दिया अपने बच्चे के ऊपर|

कुछ लोगों को शब्दों/नामों का अर्थ ही नहीं पता होता, फिर भी वो नाम अगर प्रचलन में हैं तो उसे अपने बच्चे का नाम बना देते हैं- जैसे “अनुष्का, ह्रितिक, आरव, आर्यन” आदि नाम हिन्दी सिनेमा से प्रेरित हैं पर इन नामों का अधिकतर लोगों को सार्थक अर्थ नहीं पता है, फिर भी ये नाम वो अपने बच्चों पर चस्पा कर देते हैं| 

“अगस्त्य, आयुष्मान, प्रणव, जाह्नवी, क्षितिज” आदि ऐसे नामों के अर्थ तो सार्थक हैं पर बोलने और लिखने दोनों में ही बहुत कठिन हैं... ये नाम प्राय: बच्चे और उनके अभिभावक ही नहीं बोल पाते हैं|
क्षितिज= वह स्थान जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते हुए से प्रतीत होते हैं, पर वास्तविकता में कभी मिलते नहीं है, इस अर्थ के अलावा इस शब्द का कोई और अर्थ नहीं है. एक दूसरे नज़रिये देखा जाय तो क्षितिज, पृथ्वी-आकाश के मिलन की तरह एक आभासी एहसास देता है| जो बच्चे का नाम रखने के लिए कतई उपयुक्त नहीं है|

हमें अपने बच्चों के नाम बहुत सोच-विचार कर रखना चाहिए क्योंकि सिर्फ नाम ही मृत्यु और उसके बाद तक साथ देता है| हमारा नाम ही हमारी मुख्य पहचान है| मनुष्य का आचरण बहुत हद तक उसके नाम पर भी निर्भर करता है| बच्चों के नाम बेशक़ असाधारण हो परन्तु उनके अर्थ हमेशा सार्थक और सरल होने चाहिए| जिन नामों को स्वयं बच्चा और उसके अभिभावक उच्चारण करने में सक्षम न हो उन्हें इन नामों से बचना चाहिये| अजीब से लगने वाले नाम कुछ समय तक ही अच्छे लगते है, पर जब स्कूल में दूसरे बच्चे इन नामों को लेकर बच्चे को चिढाते है या बच्चा अपना नाम नहीं बोल पाता है तब बच्चे का मनोबल स्वत: ही गिरने लगता है| उसे अपने नाम से चिढ़ होने लगती है| जब आप खुद ही अपने नाम का गलत उच्चरण करेगें तो आप दूसरों को गलत उच्चारण करने पर उसे टोक नहीं सकते हैं| इसलिए हमें अपने बच्चों के नाम सार्थक अर्थ वाले और सरल रखने चाहिए| 




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