चुनावी रैलियों में मेरठ से कांग्रेस प्रत्याशी अभिनेत्री नगमा के
साथ हो रही रोज़ाना छेड़छाड़ अपने आप में एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है| कभी कोई वरिष्ठ नेता उन्हें अपने गले से लगा लेता है तो कोई नेता, चुनावी मुद्दों को छोड़ कर सरे-आम मंच से उनकी ख़ूबसूरती में शे'र कहने से बाज़ नहीं आ रहा है| अब तो आलम यह कि टुच्चे
कार्यकर्ता भी नगमा पर टिप्पणी कर रहे हैं और उनका शरीर को छूने के फ़िराक में रहते
हैं| जिसके चलते कई बार नगमा चुनावी रैलियों में बिना कुछ कहे ही मंच से
चली जा रही है|
नगमा की सुरक्षा को लेकर यह बहुत ही संवेदनशील मामला है; जिस पर कांग्रेस को तुरंत कोई ठोस कदम उठाना चाहिए| अगर कांग्रेस अपनी महिला प्रत्याशी की सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं
है तो चुनाव आयोग एवं महिला आयोग को यह मामला स्वत: अपने संज्ञान में लेकर दोषी
प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही करनी चाहिए|
नगमा की हालत तो गाँव में ब्याह कर आई उस नई-नवेली दुल्हन जैसी हो
गयी है,
जिसे जवान से लेकर गाँव का
हर बुढ्ढा अपनी भौजाई बता रहा है और सब में "कौन पहले रंग लगाएगा इस होली
में" की होड़ मची पड़ी है|
नगमा के साथ साथ अमेठी से बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी, आरएलडी नेता जया प्रदा ने भी छेड़छाड़ एवं अश्लील
हरकतों का सामना किया है| उधर विदर्भ के अमरावती से एनसीपी की प्रत्याशी दक्षिण अभिनेत्री नवनीत कौर राणा भी अशोभनीय हरकतों की
शिकार हो चुकी हैं|
इन अभिनेत्री नेताओं को आम जनता के अलावा ससंद में बैठे नेताओं की
बेज़ा हरकतों और अपशब्दों का सामना भी करना पड़ता है|
दो साल पहले एक टी.वी. डिबेट के दौरान कांग्रेसी नेता संजय निरूपम में बीजेपी
नेत्री स्मृति ईरानी पर सरेआम "ठुमके वाली" बोलकर उनका अपमान किया था| वहीं 2009 में सपा नेता जया
प्रदा ने अपनी ही पार्टी के आज़म खान पर उनकी अश्लील फोटों रामपुर में बंटवाने का
आरोप लगाया था| 2013 में झारखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद प्रदीप बालमुचू ने ससंद में जया बच्चन की तस्वीर मोबाइल से ली थी। जो
श्रीमती बच्चन की आपत्ति के बाद प्रदीप ने अपने मोबाइल से हटा दी थी| अभिनेत्री रेखा के
राज्यसभा शपथ समारोह के दौरान जया बच्चन की तस्वीर बार बार टी.वी. पर दिखाई जाने
पर भी श्रीमती बच्चन ने टी.वी. मीडिया की शिकायत की और रेखा के बाबत प्रश्न पूछें
जाने पर पत्रकारों को फटकार लगाई थी|
ये तो कुछ बानगी हैं... वरना अभिनेत्री-नेताओं पर की जाने वाली अशोभनीय
टिप्पणीयों की शर्मनाक फ़ेहरिस्त बहुत लम्बी है| अभिनेत्री से नेत्री बनी इन महिला प्रत्याशियों को चुनावी सरगर्मियों में
एक तो अपनी पार्टी को जिताने का दबाव रहता है वहीं दूसरी तरफ़ अपनी सुरक्षा एवं
प्रतिष्ठा की सिरदर्दी है|
आम लोगों की राय इन अभिनेत्रियों के बारे में कभी अच्छी नहीं रही है| समाज इन्हें अच्छा और
चरित्रवान नहीं समझता ; अक्सर लोगों को लगता है कि इन फ़िल्मी लड़कियों के साथ कुछ भी किया जा सकता
है| जब ये हीरोइनें फ़िल्मों में हीरो के साथ अंतरंग दृष्य कर सकती है, तो हमारे मात्र
छूने और कुछ अश्लील बोल देनेसे इन्हें आपत्ति नहीं होगी ! इसलिए
अक्सर भीड़ में इन अभिनेत्रियों को अशोभनीय परिस्थितियों एवं टिप्पणियों का सामना
करना पड़ता है|
दूसरी तरफ़ अगर कोई महिला प्रत्याशी या प्रचारक किसी बड़े राजनीतिक
घराने से चुनावी मैदान में आती है तो आम जनता के साथ साथ कार्यकर्ता एवं विपक्षी
दल भी उस महिला उम्मीदवार को इज्ज़त देता है| किसी की हिम्मत नहीं होती
इन महिला उम्मीदवार को छूने या कुछ कहने की या उनकी सुन्दरता में क़सीदे पढने की| प्रियंका गांधी, राबड़ी देवी, सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे आदि पारंपारिक
रसूख़ वाली नेताओं के साथ किसी भी अप्रिय घटना के बारे में कोई सोच तक नहीं सकता|
यह एक गम्भीर मसला है किसी भी महिला की सुरक्षा, निजिता और अस्मिता को लेकर| महिला जासूसी प्रकरण को
इतना जनता में उछालने वाले कांग्रेसी नेताओं को कम से कम अपनी महिला प्रत्याशी
नगमा की सुरक्षा पर चिंतित ज़रूर होना चाहिए एवं अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को
काबू में रखना चाहिए|
दूसरी तरफ़ आम लोगों को समझना होगा फ़िल्मों में काम करने के दौरान
हीरो के साथ अंतरंग सीन करना अभिनेत्रियों के काम का एक हिस्सा है| जिसको उनके चरित्र एवं सामाजिक जीवन से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए| वो भी आम इंसान है, उनकों भी तकलीफ़, दर्द होता है| जैसे हमारी बहन-बेटियाँ हर
पुरुष के लिए उपभोग एवं उपयोग का सामान नहीं है ठीक वैसे हिरोइनों का भी सामाजिक
जीवन है| वह भी हर आदमी के साथ "सोने की चीज़" नहीं हैं|
दमदार।
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